Friday, September 20, 2019

राज्यों के पुनर्गठन की संवैधानिक प्रक्रिया को जाने

राज्यों के पुनर्गठन की संवैधानिक प्रक्रिया



जम्मू कश्मीर राज्य के पुनर्गठन बिल के साथ ही हाल ही में राज्यों के पुनर्गठन की प्रक्रिया पर सवाल हो रहे हैं। इन्हें समझने के लिए हमें सबसे पहले राज्यों के पुनर्गठन की संवैधानिक प्रक्रिया को जानना होगा।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद तीन में राज्यों के निर्माण एवं पुनर्गठन के संबंध में प्रावधान दिए हैं। जिसके अनुसार संसद, विधि द्वारा ऐसे निबंधनों और शर्तों पर, जो वो ठीक समझे, नए राज्य का निर्माण कर सकती है, परंतु यह भी उल्लेखित है कि इस प्रयोजन के लिए कोई विधेयक राष्ट्रपति की सिफारिश के बिना लाया नहीं जा सकता है सिवाय  जब राज्यों के पुनर्गठन का प्रभाव, उस राज्य में से किसी के क्षेत्र, सीमाओं या नाम पर पड़ता हो, ऐसी स्थिति में उस राज्य के विधान मंडल द्वारा उस पर अपने विचार प्रकट करने होते हैं, जो राष्ट्रपति द्वारा दी गई अवधि में बताने पड़ते है अथवा निर्देशित अवधि से अतिरिक्त अवधि में, जो राष्ट्रपति द्वारा ही प्रदान की जाती है। जब तक यह अवधि समाप्त नहीं हो जाती तब तक राज्यों के पुनर्गठन से संबंधित कोई विधेयक संसद में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है।
नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमा या नामों में परिवर्तन अनुच्छेद में उल्लेखित है जिसमें संसद, विधि द्वारा -
किसी राज्य में से उसका राज्य क्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों को या राज्यों के भागों को मिलाकर अथवा किसी राज्य क्षेत्र को किसी राज्य के भाग के साथ मिलाकर नए राज्य का निर्माण कर सकती है
किसी राज्य का क्षेत्र बड़ा सकती है
किसी राज्य का क्षेत्र घटा सकती है
किसी राज्य की सीमा में परिवर्तन कर सकती है
किसी राज्य के नाम में परिवर्तन कर सकती है

यह सभी कार्य विधि द्वारा संसद करती है, राज्यों के गठन एवं को पुनर्गठन की बात करें तो हमें स्वतंत्रता के बाद राज्यों के गठन की प्रक्रिया को जानना होगा क्योंकि सबसे पहले अखंड भारत का विभाजन और राज्यों का गठन तभी हुआ था। उससे पहले भारत रियासतों एवं प्रांतों में विभाजित था जिनको जोड़ने के लिए राज्यों को चार श्रेणी में विभाजित किया गया था जिसमें - 
ए श्रेणी के राज्य थे – असम, बिहार, मुंबई, मध्य प्रदेश, मद्रास, उड़ीसा, पंजाब, संयुक्त प्रांत, पश्चिमी बंगाल एवं आंध्र प्रदेश। सभी 216 देशी रियासतों को मिलाकर यह 10 राज्य बनाए गए थे।
बी श्रेणी के राज्य थे – हैदराबाद, जम्मू कश्मीर, मध्य भारत, मैसूर, पेप्सू जो कि पटियाला और पूर्वी पंजाब के राज्यों का संघ था, राजस्थान, सौराष्ट्र तथा त्रावणकोर कोचिन। यह सभी 275 देशी रियासतों की नई प्रशासनिक इकाई गठित कर 8 राज्य में बनाए गए।
सी श्रेणी के राज्यों को 61 रियासतों को मिलाकर 10 में विभाजित किया गया। इन 10 राज्यों में अजमेर, बिलासपुर, भोपाल, दुर्ग, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, कच्छ, मणिपुर, त्रिपुरा और विंध्य प्रदेश शामिल थे।
डी श्रेणी के राज्य में अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह को रखा गया।

यह विभाजन तात्कालिक परिस्थिति को देखकर किया गया था बाद में इस विषय के लिए संविधान सभा के अध्यक्ष द्वारा समिति गठित की गई एवं समय-समय पर कई समितियां गठित हुई।
सबसे पहले एस के धर की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय आयोग का गठन हुआ जिसे भाषाई आधार पर राज्य का पुनर्गठन उचित है या नहीं इसकी जांच करनी थी।
 इस समिति ने दिसंबर 1948 में रिपोर्ट पेश करके बताया कि प्रशासनिक आधार पर राज्यों का पुनर्गठन उचित है न कि भाषाई आधार पर।
इस समिति के बाद 22 दिसंबर 1953 को फजल अली की अध्यक्षता में गठित आयोग ने 30 सितंबर 1955 में केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश की जिसमें उन्होंने निम्नलिखित सुझाव दिए – 
राज्यों का पुनर्गठन भाषा और संस्कृति के आधार पर अनुचित बताया।
राज्यों का पुनर्गठन राष्ट्रीय सुरक्षा, वित्तीय एवं प्रशासनिक आवश्यकता तथा पंचवर्षीय योजनाओं की सफलता को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए।
ए, बी, सी और डी वर्गों में विभाजित राज्यों को समाप्त कर इनकी जगह 16 राज्य एवं तीन केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाएं।
कुछ परिवर्तनों के बाद संसद में फजल अली आयोग की सिफारिश को स्वीकार कर 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित किया गया। जिस के बाद 14 राज्य एवं 5 केंद्र शासित राज्य बनाए गए। 
राज्यों की सूची में आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, मुंबई, जम्मू कश्मीर, केरल, मध्य प्रदेश, मद्रास, मैसूर, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हुए एवं दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा एवं अंडमान निकोबार द्वीप समूह केंद्र शासित प्रदेश बने।
अलग-अलग समय पर समितियां बनाकर राज्यों का पुनर्गठन किया गया है। अब तक के सभी राज्यों के पुनर्गठन का संक्षिप्त में विवरण कुछ इस प्रकार है- 
असम सीमा परिवर्तन अधिनियम 1951 – इस अधिनियम के तहत असम की सीमा में परिवर्तन किया गया था व असम का एक भाग भूटान देश  में शामिल हो गया था।
आंध्र राज्य अधिनियम 1953 – इस  अधिनियम के तहत मद्रास के कुछ हिस्सों को अलग कर आंध्र प्रदेश नाम का नया राज्य बनाया गया।
हिमाचल प्रदेश और बिलासपुर नया राज्य अधिनियम 1954 – इस अधिनियम के तहत हिमाचल और बिलासपुर को मिलाकर नया राज्य हिमाचल प्रदेश बनाया गया।
बिहार और पश्चिमी बंगाल अधिनियम 1956 द्वारा बिहार के कुछ राज्य क्षेत्र पश्चिम बंगाल में मिलाए गए।
राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 इस अधिनियम  से भारत में स्थानीय और भाषाई आधार पर विभिन्न राज्यों में परिवर्तन किया गया जिसके बाद केरल नया राज्य बना एवं मध्य और विंध्य प्रदेश के लगे हुए इलाके उनमें जोड़े गए।
राजस्थान और मध्यप्रदेश अधिनियम 1959 द्वारा राजस्थान के कुछ इलाके मध्यप्रदेश में शामिल हुए।
आंध्र प्रदेश और मद्रास सीमा परिवर्तन अधिनियम 1959 द्वारा आंध्र प्रदेश और मद्रास राज्य की सीमा में परिवर्तन किया गया।
मुंबई पुनर्गठन अधिनियम 1960 द्वारा मुंबई राज्य को अलग कर गुजरात नया राज्य बनाया गया और मुंबई का नाम परिवर्तित कर महाराष्ट्र रखा गया।
अर्जित राज्य क्षेत्र अधिनियम 1960 से भारत और पाकिस्तान के बीच 1958 और 1959 मैं हुए समझौते के कारण असम पंजाब और पश्चिमी बंगाल में अर्जित क्षेत्रों को मिलाया गया।
नागालैंड राज्य अधिनियम 1962 में नागा पहाड़ी और त्येंसांग क्षेत्र को मिलाकर नागालैंड राज्य बनाया गया।
पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 द्वारा पंजाब राज्य को पंजाब हरियाणा चंडीगढ़ में बाटा गया।
आंध्र प्रदेश और मैसूर अधिनियम 1968 में राज्य क्षेत्र अंतरण किया गया।
बिहार और उत्तर प्रदेश सीमा परिवर्तन अधिनियम 1968  में सीमा परिवर्तित हुई।
असम पुनर्गठन अधिनियम 1969 द्वारा असम राज्य के अंदर मेघालय बनाया गया।
हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम 1970 में हिमाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा दिया गया।
पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम 1971 में मणिपुर, त्रिपुरा और मेघालय को अरुणाचल प्रदेश के संघ राज्य क्षेत्र में सम्मिलित किया गया।
हरियाणा और उत्तर प्रदेश सीमा परिवर्तन अधिनियम 1979।
मिजोरम राज्य अधिनियम 1986 में मिजोरम को राज्य का दर्जा मिला।
अरुणाचल प्रदेश राज्य अधिनियम 1986 में अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा मिला।
गोवा, दमन और दीव पुनर्गठन अधिनियम 1987
मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 द्वारा नया छत्तीसगढ़ राज्य बनाया गया।
उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 द्वारा उत्तराखंड राज्य बनाया गया।
बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 द्वारा झारखंड राज्य बना।
आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2013 द्वारा तेलंगना राज्य बना।
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 द्वारा जम्मू कश्मीर को 2 केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया पहला जम्मू कश्मीर और दूसरा लद्दाख। 

भारत की स्वतंत्रता से लेकर अब तक कुल 25 अधिनियम राज्यों के पुनर्गठन पर पारित हुए हैं । पुनर्गठन का मूल उद्देश्य राज्य के विकास को सहयोग देना होता है। परंतु  कभी - कभी भाषा अथवा संस्कृति के आधार पर विभाजन करने और नागरिक सुविधाओं में बाधा आने पर पुनर्गठन को लेकर सवाल उठाए जाते हैं और इनके उत्तर के लिए राज्यों के पुनर्गठन की प्रक्रिया को समझना आवश्यक हो जाता है।
स्रोत -
http://www.vivacepanorama.com/reorganization-of-the-indian-union-and-the-states/

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